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विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 49)

विस्तार : सीक्रेट ऑफ डार्कनेस (भाग : 49)

वीर और डार्क लीडर के टकराव का प्रभाव उजाले की दुनिया में भी भीषणतम दिखाई दे रहा था। चारों ही ओर हाहाकार मचा हुआ था। विस्तार शक्ति के द्वारा बना हुआ ऊर्जा द्वार सिकुड़ता जा रहा था परन्तु सम्पूर्ण विश्व पर इसका भयानक प्रभाव दिख रहा था। प्राकृतिक आपदाएं बिना किसी अंदेशे के भीषण रूप धारण कर धरती को तबाह किये जा रही थी।

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डार्क लीडर और वीर के मध्य घमासान युद्ध जारी था। न वीर पीछे हटने का नाम ले रहा था न ही डार्क लीडर पीछे हटने वाला था। सदियों के बाद उसका श्राप हटने वाला था, उसका सिर जो उस श्राप के फलस्वरूप जलता ही रहता था अब सामान्य हो रहा था। विजयश्री  दोनों में से एक के ही झोली में जानी थी परन्तु विजेता कौन होगा यह देखकर तय कर पाना कदाचित सम्भव न था।

दोनों योद्धा अपनी सारी शक्ति का प्रयोग कर रहे थे, बल के साथ छल का प्रयोग करने में तनिक भी न हिचकिचा रहे थे। सुपीरियर लीडर ने अब तक अनगिनत युद्धों में हिस्सा बना था परन्तु यह युद्ध देखकर वह भी भौचक्का रह गया। डार्क लीडर अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा का प्रयोग कर वीर को पीछे धकेलने का प्रयत्न कर रहा था, वीर ने अपने जबड़े भींचे, जैसे पांव जमीन में ही गड़ा दिया। दोनों को की यह वार पूर्णतः असफल नजर आ रहा था।

"शक्तियां तो हम दोनों के पास एक समान ही हैं डार्क लीडर! क्यों न मल्ल युद्ध के द्वारा विजेता का चुनाव हो!"  वीर अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा से जोर लगाकर डार्क लीडर को पीछे धकेलने में लगा हुआ था।

"मेरी शक्तियां अब किसी और के पास न जाएंगी वीर! यदि तुम्हारी अंतिम इच्छा यही है तो यही सही।" कहते हुए डार्क लीडर ने अपनी तलवार निकाल ली। डार्क लीडर को उर्जावार करना बंद करते देख वीर कुटिलता से मुस्काया, उसने अपनी अगली चाल चल दी, उसकी उंगलियां आपस में उलझते हुए नाची और शक्तिशाली ऊर्जा किरण निकलकर डार्क लीडर की ओर बढ़ी।  वीर का यह वार डार्क लीडर के सिर को धड़ से जुदा कर ही देती परन्तु डार्क लीडर भी सतर्क एवं सजग था। उसे पहले से ही आभास था कि वीर ऐसा कुछ अवश्य करेगा। उसने अपनी तलवार द्वारा उस ऊर्जावार को रोक लिया, तलवार से टकराकर ऊर्जा आसपास छितराकर फैल गई, वीर मन मसोसकर ही रह गया।

"मुझे अंदेशा था तो ऐसा ही करेगा वीर! पर फिक्र न कर, मैं तेरी अंतिम इच्छा अवश्य पूर्ण करूँगा।"  अपनी तलवार लहराते हुए डार्क लीडर वीर की ओर लपका।

"तुझे रोकने के लिए तो मेरी ये नवनिर्मित अजेय तत्वा सेना ही काफी है डार्क लीडर!" वीर ने वहां से कुछ ऊँचा उड़ते हुए सभी जीवों को डार्क लीडर पर हमला करने का आदेश देने लगा। सभी पृथ्वय, आग्नेय एवं जलीय जीव तेजी से डार्क लीडर की ओर बढ़ने लगे। "खत्म कर दो इस नामुराद को!" वीर चिल्लाया। उसकी सेना तेजी से डार्क लीडर की ओर बढ़ी, उन जीवो के चलने मात्र से ही धरती में कम्पन होने लगा। अगले ही क्षण डार्क लीडर पृथ्वय, आग्नेय एवं जलीय जीव कंकालों से घिर चुका था।

"तेरी सेना का सफाया करने में अधिक समय नही लगेगा वीर! ये मत भूल कि अब मेरे शरीर में डेथ डीमन्स भी हैं।" कहते हुए डार्क लीडर ने अपने दोनों हाथों को जोड़कर विशेष मुद्रा बनाया। अगले ही क्षण अनेकों डेथ डीमन्स उसके शरीर से बाहर निकलने लगे। "इनकी क्रूरता का नमूना तो तू देख ही चुका है, क्यों इन नवजातों की बलि चढ़ाना चाहता है।

डेथ डीमन्स खूंखार रूप से चिंघाड़ते हुए वीर की अजेय तत्वा सेना से टकरा गए। उनकी खूँखारता किसी भी शक्ति पर भारी पड़ रही थी। पृथ्वय जीवो ने अपने कंकाल शक्ति से डीमन्स पर प्रहार किया, एक डीमन ने उसके सामने जाकर जोर से दहाड़ा, वह बिचारा खील-खील होकर उड़ गया, यही हाल आग्नेय और जलीय शैतानों का भी था। वीर अपने सैनिकों का यह हाल देखकर घबरा गया, अचानक पुनः उसके चेहरे और कुटिल मुस्कान नाच गयी।

"तुम्हें एक राज की बात बताऊं वीर! मैं तुमसे ज्यादा आगे की सोच रखता हूँ। यदि मैं यह यंत्र पहले बना चुका होता तो शायद यह सब पहले ही समाप्त हो जाता, मेरे ये डेथ डीमन्स पहले की तरह सामान्य नही हैं बल्कि इनके अंदर संसार की सबसे अधिक क्रूरता भरी हुई है जो सिर्फ एक ही चीज जानते हैं किसी को भी चीर-फाड़ डालना।" व्यंगपूर्ण विजयी मुस्कान लिए डार्क लीडर भी हवा में लहराया।

"अपनी इस चाल पर अधिक न इतरा डार्क लीडर!" वीर ने डार्क लीडर के जबड़े पर शक्तिशाली घूसा जड़ दिया। डार्क लीडर नीचे गिरने लगा, पर धरती से टकराने से पूर्व कुछ ही दूरी पर सम्भल गया। वीर द्वारा निर्मित पृथ्वय, आग्नेय और जलीय कंकाली दैत्यों के शरीर आपस में एकाकार होने लगे।

"तेरे सामने देख डार्क लीडर! यह है पँचतत्वा! इस संसार की कोई भी शक्ति इसे नही हरा सकती।" वीर, पुनः तेज गति से डार्क लीडर की ओर बढ़ा। डार्क लीडर अपने स्थान से सरकते हुए, वीर के पीठ और जोरदार लात मारता है, जिससे लड़खड़ा कर वीर जमीन पर आ गिरा। पँचतत्वा, पहाड़ के बराबर ऊँचा हो गया था, उसके अनेकों हाथ नजर आ रहे थे। उसके पास जल, पृथ्वी एवं अग्नि की शक्ति थी। अब वह डेथ डीमन्स पर भारी पड़ने लगा था, डीमन्स की क्रूरता उसके सामने बच्चों का खेल लग रहा था।

"तेरी हर चाल की काट है मेरे पास वीर!" डार्क लीडर ऐसे बोला जैसे उसे पहले से ही पता हो वीर ऐसा ही करेगा। "मृत्युयोद्धा!" डार्क लीडर जोर से चीखा। अचानक ही सभी डेथ डीमन्स आपस में जुड़ने लगे, जुड़ने के बाद जो आकृति सामने आयी वह दिल दहला देने वाली थी। उसकी ऊँचाई पँचतत्वा के बराबर ही थी। शरीर के हर जोड़ पर नुकीली हड्डियां बाहर निकली हुई थी। स्याह आँखों में क्रूरता के अतिरिक्त कोई भाव न था, हाथ में कंकाल का दण्डनुमा विचित्र अस्त्र था।

पँचतत्वा के वार को रोकते हुए मृत्युयोद्धा ने उसके सिर पर टक्कर दे मारी, यह टक्कर इतना जोरदार था कि मृत्युयोद्धा के हाथों में पकड़े गए उसके आठ-दस हाथ उसके शरीर से उखड़ गए। पँचतत्वा धरती को चीरते हुए कुछ दूर तक सरकता गया। मृत्युयोद्धा जोर जोर से चिंघाड़ रहा था। पँचतत्वा उठकर तेजी से दौड़ते हुए मृत्युयोद्धा से टकरा गया, मृत्युयोद्धा एक विशाल चट्टान से टकराया, वह चट्टान टूटकर कणों में बिखर गईं। दोनों में न कोई किसी से कम नजर आ रहा था न ही अधिक! दोनों को ही कोई शक्ति नही मार सकती थी, शायद यह युद्ध अनन्तकाल तक ऐसे ही चलने वाला था।

"तेरा पँचतत्वा, मृत्युयोद्धा का कुछ नही बिगाड़ सकेगा वीर!" मृत्युयोद्धा को पुनः उठते  देख डार्क लीडर ने कहा। "मृत्युयोद्धा अंत से परे है वीर! इस संसार का कोई भी इसे मार नही सकता। हाहाहा...!"

"पँचतत्वा को भी कोई नही रोक सकता डार्क लीडर! हाँ अगर कोई चींटी मिल जाये तो शायद वो हरा दे। हाहाहा..!" वीर ने चिढ़ाने के अंदाज में कहा।

"इसी बहाने क्यों न हम अपना हिसाब बराबर कर लें वीर! तेरी आखिरी इच्छा पूर्ण करनी है मुझे।" डार्क लीडर अपनी तलवार लिए वीर की ओर बढ़ा।

"ठीक है अब हो ही जाये दो-दो हाथ।" वीर अपनी तलवार तानकर खड़ा हो गया। उछलते हुए डार्क लीडर ने वीर पर प्रहार किया, तलवार से तलवार टकराई, टकराने की गूंज चारों ओर फैल गयी। वीर ने नीचे झुककर अगला प्रहार किया, जिसे रोकते हुए डार्क लीडर ने उसका जबड़ा तोड़ दिया।

"वाह बहुत खूब! तो अब तुम भी सीख रहे हो।" वीर अपने मुँह से बहते लहू को पोंछते हुए बोला।

"ये मैं तुम्हारे जन्म से भी पहले से जानता हूँ बच्चे!" डार्क लीडर पर फिर क्रोध हावी होने लगा। उसने पीछे की ओर हवा में छलांग लगाई, वीर उसे पीछे हटते देख हैरान हो गया। पर इससे पहले वीर कुछ समझ पाता, डार्क लीडर के शक्तिशाली प्रहार ने उसे उछालकर दूर फेंक दिया। वह अपनी गर्दन सहलाते हुए उठा, तलवार को इस तरह घुमाने लगा कि डार्क लीडर को समझ ही न आ रहा था। डार्क लीडर का पूरा ध्यान उसके हाथों पर था, वीर धीरे से पीछे की ओर घुमा ओर फिर दोनों लात उसके छाती पर जड़ दिए।

"इसे कहते हैं कहो कुछ करो कुछ हाहाहा..!" वीर उसके सामने जाते हुए बोला। अचानक वहां शोर बढ़ गया, इससे पहले वे दोनो कुछ समझकर अपना स्थान छोड़ पाते, पँचतत्वा उन दोनों के ऊपर आ गिरा। मृत्युयोद्धा के शक्तिशाली वार उसे अधिक नुकसान तो नही पहुँचा पा रहे थे परन्तु आसपास का क्षेत्र जो पहले से ही तबाह था और तबाह होता जा रहा था।

"इन दोनों का युद्ध कभी नही थमेगा।" डार्क लीडर, पँचतत्वा के नीचे से निकलता हुआ बोला।

पँचतत्वा उठते हुए पुनः मृत्युयोद्धा से टकरा गया, उनके शक्तिशाली थापों से धरा डोल गयी। एक क्षण को वीर को लगा कि उसने ये क्या कर दिया परन्तु यह विचार एक क्षण से अधिक देर तक न रह सका। दोनों एक दूसरे को बराबर का टक्कर दे रहे थे। अचानक एक प्रकाशपुंज तेजी से उन दोनों की ओर बढ़ता दिखा, जो उन दोनों को चीरते हुए सीधे आकाश की ओर निकल गया। दोनों ही अतिशक्तिशाली जीव अशक्त होते जा रहे थे, उनके अंगों की क्रियाशीलता थम गई, अगले ही क्षण पँचतत्वा और मृत्युयोद्धा निढ़ाल होकर धरा पर धरासायी हो गए। उनका न हिलना डुलना इस बात का साक्षी था कि दोनों ही अपने अंत को प्राप्त हो चुके हैं।

"मेरा ख्याल है कि तुमने  मुझे थोड़ा बहुत मिस तो किया ही होगा।" उनके समक्ष विस्तार आकर खड़ा हुआ। उसके चारों ओर श्वेत रोशनी फैली हुई थी, जो उसके ओमेगा चिन्ह से स्फुटित हो रही थी। इतने प्रकाश में वीर और डार्क लीडर की आंखे चौंधिया रही थी, उन्हें यह भी नही समझ आ रहा था कि विस्तार के मामूली से वार ने दो-दो महाशैतानों को कैसे समाप्त कर दिया।

"क्या हुआ? बुरा लग गया क्या?" विस्तार ने व्यंग्य किया।

"तुम जीवित कैसे हो तुम्हें तो ग्रेमाक्ष ने मार दिया था? और तुमने इन्हें कैसे मार दिया जबकि इन्हें इस दुनिया की कोई भी शक्ति नही मार सकती?" डार्क लीडर और वीर दोनों को अपनी आंखों और यकीन नही हो रहा था।

"ओमेगा पावर इस दुनिया की शक्ति नही है लल्लन प्यारे!" विस्तार धरती पर उतरते हुए उनके समक्ष जाकर खड़ा हो गया।

क्रमशः…..


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1 Comments

Niraj Pandey

09-Oct-2021 12:26 AM

बहुत ही शानदार👌👌👌

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